
लोगों को अपनी बचत में कटौती करनी पड़ रही है. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर अगस्त में 5.30 फीसदी तथा सितंबर, 2020 में 7.27 फीसदी पर थी.

RBI ने 2021-22 के लिए CPI-आधारित महंगाई दर का अनुमान 5.7% से घटाकर 5.3% रहने का अनुमान लगाया है, यानी आम जनता को महंगाई से राहत मिलने के आसार हैं.

NSO ने अगस्त के लिए खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए हैं. जिसके मुताबिक अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति दर 5.30% थी. जबकि जुलाई में यह 6.69% थी.

WPI मुद्रास्फीति जून में लगातार तीसरे महीने दोहरे अंकों में रही, जिसका मुख्य कारण पिछले साल का आधार कम रहा.

Inflation impact: जब नीतिगत ब्याज दर बढ़ायी जाती है तो आम तौर पर कर्ज पर भले ही ब्याज दर बढ़ जाए, लेकिन उसी तत्परता से जमा पर ब्याज दर नहीं बढ़ती

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के वी सुब्रह्मण्यम ने कहा है कि अच्छे मॉनसून और आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने से खाद्य महंगाई में कमी आ सकती है.

RBI: मुद्रास्फीति के आंकड़े सतर्क करने वाले हैं. आर्थिक स्थिति में सुधारपर अनिश्चितता है. राजकोषीय समर्थन की भी ज्यादा उम्मीद नहीं है

Retail Inflation CPI: सांख्यिकी मंत्रालय के मुताबिक मई 2021 में खाद्य महंगाई बढ़कर 5.01 फीसदी हो गई है.

Inflation: पिछले साल के मुकाबले इस बार खाने के तेलों की कीमतों में बड़ा उछाल आया है. इनकी कीमतें 55 फीसदी तक बढ़ी हैं.